अब बस कर दो!
हाथ तुम्हारा काँपता क्यों नहीं?
क्या लगता है उग जाएगा और कहीं।
सालों -साल में एक उगता है,
तुम्हारा हाथ तो एक पल के लिए भी नहीं रुकता है।
मत काटो तुम और इन्हें,
यही देते हैं ऑक्सीजन हमें।
ना रहे तो क्या करोगे?
सांस के लिए पल- पल तड़पोगे।
ना काटेंगे इन्हें कभी।
ले लो यही प्रण सभी।
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