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My Expressions
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तुम

(Dedicated to my naanu who recently passed away on 25 th April)

मेरे दिल से जाके पूछो, शायद यह समझ आ जाये,
कितने मुख़्तलिफ़ थे तुम, जो इस तरह रवाना हो गए
हर सहर, सूरज तुम्हारी राह देखता है
हर सांझ जाते जाते, बस एक ही रट लगाता है
“गए तोह कहाँ गए, बस गए तोह कहाँ?”

कोई तोह कमी है जो सताती है
बस हर पल तुम्हारी आवाज़ इस वीराने घर में गूंजती
तुम्हारा बस एक लव्ज़, “वाह भाई वाह!” सुनने के लिए
यह घर की दीवारें, तुम्हारे लिए फिर ठहर जाती है
यह घर की दीवारें, तुम्हारे लिए फिर ठहर जाती है

वो फूल पत्ते जो कल तक तुम्हारी मुस्कान के साथ
यूँ ही मुस्कुराते थे, आज चुप चाप से, गुमसुम से है
तुम्हारी हाथ से जो पानी पीते थे, आज
बस तुम्हारी पाँव की आवाज़ सुनना चाहते है
बस तुम्हारी पाँव की आवाज़ सुनना चाहते है

जिस कुर्सी पर तुम अक्सर बैठा करते थे
बैठकर हम सबसे बातें किया करते थे
वो कुर्सी भी खाली पड़ी है
कोई नहीं बैठता उसपे, बस यही सोच कर
कि तुम वापिस आजाओगे
“तुम वापिस आ जाओगे ना?”
सिर्फ मैं ही नहीं बल्कि
तुम्हारी कुर्सी भी यही पूछती है,
“आज अशोक के घर में शोक क्यों?
आज अशोक के घर में शोक क्यों?”

इन सबके नहीं तोह हमारे खातिर तो
थोड़ा और देर रुक लिया होता
थोड़ी और बातें करली होती
आज सब कुछ है, पर तुम नहीं हो
पर मेरा दिल जानता है
तुम यही कही हो मगर फिर भी नहीं हो
तुम यही कही हो मगर फिर भी नहीं हो

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IRA ARORA

10, GYANSHREE

Comments: 2
  1. Zainab_Sariya says:

    Very well written!

  2. aaravarora says:

    maza aaya

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