पढ़ाई का महत्व
कुछ समय पहले की बात है एक शहर में एक लड़का रमन रहता था। रमन पढ़ने में बहुत अच्छा था । उसे अपनी बात पर घमंड हो गया था। जब उसके माता-पिता उसे पढ़ने के लिए कहते थे अपने “मुंह मियां मिट्ठू बनने” लग जाता था और “छोटा मुंह बड़ी बात” करने लगता था। कुछ समय बाद जब उसकी अर्धवार्षिक परीक्षा आई तो पहले मेहनत ना करने के कारण वह फेल हो गया। यह बात का पता चलने पर वह “ठगा सा रह गया”। यह बात का पता चलने पर वह घबरा गया कि वह अपने माता-पिता को यह कैसे बताएगा। जब उसके माता-पिता को यह बात पता चली तो उसके पिताजी “अंगारे उगलने” लगे और उसकी मां भी बहुत परेशान हुई। उसके पिताजी ने उसे कहा ” अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत” । अपने माता-पिता को इतना परेशान देखकर उस पर “घड़ों पानी पड़ गया”। उसकी “आंखें खुल गई” थी और उसे अपनी गलती का एहसास हो गया था। अब उसने अच्छे से मेहनत करके कक्षा में पहले स्थान पर आने का “बीड़ा उठा लिया” था। अब उसने आने वाली वार्षिक परीक्षा के लिए अपनी “कमर कस ली” थी। उसने कक्षा में प्रथम आने के लिए “दिन रात एक कर दिया”। आज वार्षिक परीक्षा के नतीजे का दिन था। रमन बहुत बेचैन हो रहा था । जब रमन को उसका नतीजा पता लगा कि वह कक्षा में प्रथम आया है तो उसका “कलेजा ठंडा हुआ”। जब उसके माता-पिता को पता चला तो वह “फुले नहीं समाए “। अब रमन को अपनी गलती का एहसास हो गया था और उसने अपने माता-पिता से माफी भी मांगी। इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि ऊंचे पद पर पहुंचने के बाद भी घमंड आपको नीचे गिरा सकता है।
“घमंडी का सिर नीचा”
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