मेरे गुरु मेरे भगवान
हर प्रकार से नादान थे तुम
गीली मिटटी के सामान थे तुम
आकार देखकर तुम्हे घड़ा बना दिया
पैरों पर तुम्हे खड़ा कर दिया
हारे हुए इंसान के भीतर ना टूटने वाली उम्मीद जगा दे
कर्म मेरे इतने अच्छे की ऐसे शख्स को भगवान मेरा गुरु बनाये
नहीं है कोई शब्द कैसे करू मैं धन्यवाद
बस चाहिए हर पल आप सबका आशीर्वाद
हूँ जहां आज मैं उसमे ही है बड़ा योगदान
आप सबका जिन्होंने दिया है मुझे इतना ज्ञान
आओ मिलकर इस शिक्षक दिवस के अवसर पर
इन सभी महा आत्माओ का सम्मान करें
शत आयु ज्ञान के सागर यह सागर सारे
ऐसे अनेक गुरुओं को प्रणाम बाराम बार करें
जिसकी सफलता का पैमाना
मेरा सफल हो जाना है
वही गुरु के वात्सल्य की सशक्त सदृढ़ परिभाषा है
हे गुरुवार यदि मैंने आपका कभी अनादर किया हो
तो क्षमा मांगता हु
आपके निर्मल निःस्वार्थ भाव को
मानवता की परिभाषा मानता हूँ
अपना आशीष मेरे शीश पर सदैव रखना
भटक चूका हु इस चक्रव्यूह में
आपको ही अपने रथ का साथी मानता हूँ
गुरु वही जो जीना सीखा दे
आपसे अपनी पहचान करा दे
मुश्किलों से लड़कर आगे बढ़ जाओ तुम
वह तुम्हे इतना समझदार बना दें
तराश दे हीरे की तरह तुमको
दुनिया के रास्तों पर चलना सीखा दे
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