हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी
भारत में अनेक भाषाएं बोली और लिखी जाती है। हिंदी भाषा भी उनमें से एक है। हिंदी विश्व की तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है।
हिंदी सिर्फ एक भाषा नहीं एक भाव है। हिंदी दिवस मनाने की शुरुआत 1949 से हुई थी। 14 सितंबर 1949 को भारत के संविधान में हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया था। 2001 की जनगणना के हिसाब से भारत में करीब 41 फ़ीसदी लोग हिंदी बोलते हैं जो कि 2011 में बढ़कर 43 फ़ीसदी हो गई है।
आजकल अगर हमारे सामने कोई फटाफट अंग्रेजी बोल दे तो हम डर जाते हैं। मेरे ख्याल से डरने की बजाय हमें हमारी हिंदी भाषा पर गर्व होना चाहिए कि अगर उसे अंग्रेजी आती है तो हमें भी हिंदी आती है। हिंदी भाषा की सबसे अच्छी बात यह है कि इसे हम जैसे बोलते हैं, वैसे ही लिखते हैं।
14 सितंबर के दिन स्कूल, कॉलेजों में भी बहुत अच्छे-अच्छे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस बार कोविड-19 के दौरान हमारे स्कूल में भी हिंदी दिवस के अवसर पर ‘वर्चुअल कार्यक्रम’ आयोजित किया गया जिसमें हमारे स्कूल के बहुत सारे छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया और अपनी क्रिएटिविटी को अलग रूप से दिखाया। जिस का सबसे मुख्य श्रेय हमारी आदरणीय प्रधानाचार्य और अध्यापिकाओं को जाता है। हिंदी दिवस के दिन हम सब को महान कवियों, लेखकों जैसे मुंशी प्रेमचंद, काका हाथरसी, हरिवंशराय बच्चन की कहानियां कविताएं सुननी और पढ़नी चाहिए।
हमें हमारे बड़ों के साथ बठकर उनके पसंदीदा कवि, लेखक के बारे में पूछना चाहिए। हिन्दी दिवस प्रत्येक भारतीय के लिए एक गर्व का अवसर है जिसे हमें यूँही नहीं जाने देना चाहिए।
जब अपनी भाषा है इतनी महान,
तो क्यों है दूसरी भाषाओं पर इतना अभिमान।
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