हिन्दी भाषा पर अनुच्छेद
हिन्दी भारत की मातभाषा और दैनिक बोल-चाल की भाषा हैI हिन्दी भाषा के बिना शिक्षा अपंग है। संपर्क भाषा में हिन्दी हो तो सोने पर सुहागा वाली कहावत चरितार्थ होती हैI वहीं संस्कृत, प्राकृत, पाली, अपभ्रंश आदि पड़ावों से गुज़र कर हिन्दी भारत वासियों के दिल की धड़कन बनी। जिस देश की अपनी कोई भाषा नहीं है वह देश गूंगा व बहरा है। हिन्दी पूर्ण रूप से सक्षम और समर्थ भाषा है। जहां तक हिन्दी बोलने वालों का प्रश्न है तो हिन्दी विश्व की नंबर एक भाषा है। हिन्दी को भारत की संघ भाषा कहा गया हैI अकेले भारत में सत्तर करोड़ से ज्यादा लोग हिन्दी बोलते और समझते हैंI अन्त में मैं यह अनुच्छेद एक नारे के साथ खत्म करना चाहूँगा।
मन की भाषा, प्रेम की भाषा,
हिन्दी है भारतजन की भाषा I
सौंधी सुगंध, मीठी सी भाषा,
गर्व से कहो, हिन्दी है मेरी भाषा।
संयम सरीन
६-स
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