Papa
तेरी उंगली थाम कर,
चलना है सीखा मैंनेI
जब भी कही लड़खड़ाई,
सहारा दिया है तूने II
माँ के ममत्व से तो है
जग सारा परिचित I
पर क्यों तुम्हारी मुहोब्बत को,
है पहचाना किसे ने नहीं II
चाहे पापा बोलू, या बोलू पिता जी,
चाहे बोलू बाबा या फिर डैडी
मेरा प्यार तुम्हारे प्रति,
कहा कम होने लगा ?
यह कविता तो बहुत,
बहुत लघु हैI
शब्दों और भावो का प्रकोप कई ज़्यादाI
तुम्हारे लिए लिखने लगी,
तो शायद यह जन्म,
भी कम न पड़ जाए II
HAPPY FATHER’S DAY, PAPA
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