Sharad Purnima
शरद पूर्णिमा का चमत्कार
एक छोटे से गांव में एक परिवार रहा करता था | उस परिवार में एक छोटी लड़की रहती थी जिसका नाम मीरा था , जब वहां 3 साल की थी तब उसे एक गंभीर बीमारी के कारण वहां अंधी हो गई मीरा की मम्मी मीरा के पापा से कहते हुए अरे सुनो जी कल शरद पूर्णिमा का त्योहार है क्यों ना कल हम छत पर जाकर सो जाएं मीरा के पापा मीरा की मम्मी से बोलते हुए हां क्यों नहीं ” शरद पूर्णिमा का दिन ” रात का वक़्त था मीरा की मम्मी स्वादिष्ट भोजन लाती है मीरा , मीरा के पापा और मीरा की मम्मी चाव से खाना खाते हैं मीरा के पापा खटिया डाल देते है सब सो जाते हैं मीरा अपनी मां से कहती है मां मुझे मच्छर काट रही है जिसके कारण मुझे खुजली हो रही है मीरा की मां मीरा से बोलती है कोई बात नहीं मैं तुम्हारा और अपना बिस्तर चांद के सामने यानी दाएं और कर लेती हूं मीरा हामी भर देती है मीरा और उसकी मां आराम से सो जाते हैं सुबह हो जाती है मीरा अपनी मां से चिल्लाते हुए बोलती है मां मुझे सब दिख रहा है मीरा की मां आश्चर्यचकित हो जाती है और उस से पूछती है की बताओ यह कितनी उंगलियां है मीरा बिल्कुल सही जवाब दे देती है अब उस के माता और पिता का ही अचंभित हो जाते हैं तभी उसके पिता बोलते हैं कि यह सब चांद का ही चमत्कार है शरद पूर्णिमा के दिन तुम लोग चांद की रोशनी में सोई थी इसलिए आंखें सही हो गई उसकी मां मीरा और उसके पिताजी काफी प्रसन्न हो जाती है और अपनी आगे की जिंदगी हंसी खुशी बिताते हैं
शुभी गुप्ता
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