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जीव संरक्षण (Animal protection)


यह प्रकृति मानव, वन्य जीवन (wildlife) व वनस्पति (vegetation) का एक समावेश (combination) है और इनके बीच एक शांति पूर्वक संतुलन अति आवश्यक है। परंतु मनुष्य अपने लोभ और क्रूडता (crudness) के अंतर्गत वनस्पति और वन्य जीव का सर्वनाश आरंभ कर देगा यह किसी ने सोचा न था। आज कहने को तो मनुष्य चांद से भी आगे पहुंच गया है लेकिन उसके कृत्य आज भी लज्जास्पद (shameful) है, सच कहूं तो अति क्रूड हो गए हैं।


क्या होगा जब इस प्रकृति की अंजुली में केवल मनुष्य शेष रह जाएंगे? सारी प्रकृति का सौंदर्य समाप्त हो जायेगा। पंछी चहचहाएंगे नहीं, फूल खिलेंगे नहीं, तब क्या होगा? किसी व्यक्ति के प्रति रोष प्रकट करते समय हम कहते हैं, “कि तू इंसान नहीं, जानवर है” लेकिन यह सत्य नहीं हमें तो यह कहना चाहिए, “कि तू जानवर नहीं, इंसान है” क्योंकि आजकल मनुष्य जानवर से बत्तर है और जानवर इंसान से बेहतर।


आज के युग में मनुष्य से घातक और कोई नहीं। हाल ही में मैंने एक दिल दहला देने वाली खबर पढ़ी, दो महीने से गर्भवती हथनी (female elephant) को किसी बुद्धिहीन मनुष्य ने बारूद भरा खाना खिलाया उसी कारण वह दिवंगत होगई। एक जीव जो बोल नहीं सकता उसके प्रति ऐसा व्यवहार कदापि निंदनीय है। चीन में तो पानी सर से ऊपर ही जा चुका है उन्होंने किसी भी जीव के जीवन को बख्शा नहीं उन्होंने या तो किसी जानवर को जिंदा जला दिया या जिंदा खा लिया। मैं सभी चीन वासियों से यह पूछना चाहता हूं कि यह जीवों के प्रति किस तरह का व्यवहार है? जानवर मनुष्य के प्रति तब तक प्रतिकार (retaliate) नहीं करते जब तक मनुष्य जानवर को भड़काये ना। 


श्वान (dog) के हाथ पैर बांधकर नदी में फेंक देना, हाथी को बारूद से भरा खाना देना, जानवरों को जिंदा खा लेना या जला देना। यह सब जीवो की अवहेलना (disregard) है कि नहीं? जानवरों का मनुष्य द्वारा दमन (suppression) है कि नहीं? कौन देगा इन प्रश्नों का उत्तर?

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Tushar Hisaria

Grade 10, DLDAV Model School, Shalimar Bagh, New Delhi

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