प्रकृति
चमक रही है प्रकृति हर जगह
अनेकानेक रूप में प्रकृति हर सुबह
धाराएं गिरी वृक्ष महि आदि
अनेक सुन्दर रूप में है छायी
जो ईश्वर दी है यूं हमें।
चमक रही है प्रकृति हर जगह
जानवर अनेकानेक रूप में
छोटी बड़ी पक्षियां और छोटे छोटे कीड़े
प्रकृति जो ईश्वर ने दी है
है अति सुन्दर घर इनके ।
चमक रही है प्रकृति हर जगह
देती है हमें उपयोगी वस्तुएं
हर ऋतू देती हैं कुछ विविध
अन्न फल फूल और सब्ज़ियां
हवा में सुगंध और पेट के लिए भोजन ।
चमक रही है प्रकृति हर जगह
छेड़ न देना प्रकृति को हे मानव
ज्वालामुखी, भूकंप, तूफ़ान और बाद
आएंगे तुम्हारे द्वार
संभल कर रखना प्रकृति को
वो प्रकृति है तो मानव है वरणा कुछ भी नहीं ।
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