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अंतरराष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस – 23 सितंबर

आज के दिन हम पूरे दुनिया में अंतरराष्ट्रीय सांकेतिक (sign) भाषा (language) दिवस मनाते हैं। यह अंतरराष्ट्रीय बधिर (deaf) सप्ताह का भी हिस्सा है, जो इस साल 21 से 28 सितंबर तक है।

सांकेतिक भाषा क्या होता है?

सांकेतिक भाषा ऐसी भाषाएं हैं, जिसमें हाथों एवं चेहरों के हावभाव के संकेतों के प्रयोग से संवाद (बातचीत) किया जाता है। यह भाषा बधिर (जो सुन नहीं सकता) के द्वारा प्रयोग किया जाता है। पूरे दुनिया में लगभग 300 अलग-अलग सांकेतिक भाषाएं हैं। जो कि एक-दूसरे से अलग हैं। हालांकि, एक समन अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा भी है, जिसे कि अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों में इस्तेमाल किया जा सकता है।

सांकेतिक भाषा के महत्व के बारे में जानकारी बढ़ाने के लिए हम अंतरराष्ट्रीय संकेतिक भाषा दिवस मनाते हैं।

एक इंसान के रूप में हम सभी अपनी भावना, विचार को एक-दूसरे से बांटना चाहते हैं। संकेतिक भाषा बधिर लोगों को बात करने में मदद करता है इसलिए यह काफी महत्वपूर्ण है। बचपन से सांकेतिक भाषा को सीखना बच्चों के विकास के लिए महत्वपूर्ण है।

इसके अलावा जो इंसान स्वलीनता (autism), प्रमस्तिष्क घात (Cerebral palsy) आदि जैसे विकलांगता से प्रभावित हो, वह भी संवाद के लिए सांकेतिक भाषा का प्रयोग कर सकते हैं। इन विकलांगताओं के कारण उन्होंने ठीक से बोल मे दिक्कत होती है।

इस साल के अंतरराष्ट्रीय  सांकेतिक भाषा दिवस का विषय ” सांकेतिक भाषा प्रत्येक व्यक्ति के लिए” है।

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Shubham Kumar Sanu

Research Scholar, Delhi School of Economics, University of Delhi. UGC's National Eligibility Test (NET) and Junior Research Fellowship qualified. Area of interest Research, Reading, Writing, and Social Work.

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