Curious logo
 

My Expressions
Rules for Post Submission

शिक्षक हमारे मार्गदर्शक

प्रति वर्ष ५ सितंबर को हम सब खूब धूम-धाम से शिक्षक दिवस मनाते हैं। पर क्या हम जानते हैं कि हम यह क्यों मनाते हैं? हमारे पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म ५ सितंबर १८८८ को हुआ था। डॉक्टर राधाकृष्णन एक शिक्षक और महान अधअध्येता थे। जो भारत के दूसरे राष्ट्रपति बने। डॉ राधाकृष्णन के सम्मान में हम हर वर्ष शिक्षक दिवस मनाते हैं।

शिक्षक वृक्ष की गहरी जड़ों के समान होते हैं। जो ऊपर से दिखाई नहीं देतीं पर अगर ये जड़े ना हों तो उसके ऊपर विशाल वृक्ष कभी खड़ा ही नहीं हो पाएगा। गुरु, शिक्षक का हमारे जीवन में बहुत महत्व होता है। वे गीली मिट्टी को सुंदर घडे के रुप में ढालना बखूबी जानते हैं। शिक्षक हमें सिर्फ पढ़ाते ही नहीं है बल्कि हमें व्यावहारिक जीवन की कड़वी सच्चाइयों का सामना करने की शिक्षा भी देते हैं। शिक्षक शब्द सुनते ही बेशक हमारे समक्ष किसी एक “पसंदीदा अध्यापिका/अध्यापक का चित्र उपस्थित हो जाए लेकिन शिक्षक शब्द का वास्तविक अर्थ इससे कहीं ज्यादा व्यापक होता है।

शिक्षक यानि गुरु एक ऐसा व्यक्तित्व होता है जो ज्ञान और अनुभव की रोशनी से परिपूर्ण होता है । शिक्षक हमें पुस्तक के पाठ के माध्यम से जीवन और समाज की व्यापक सच्चाइयों से हमारा साक्षात्कार कराते हैं। इस कोविड-19 के दौर में डॉक्टरों ने देश और समाज को स्वस्थ बनाए रखने में बहुमूल्य योगदान दिया है लेकिन उनके अलावा हमारे शिक्षकों ने भी ऑनलाइन शिक्षण के माध्यम से शिक्षा की लौ को मद्धिम नहीं होने दिया।

कोविड-19 के संक्रमण से पहले तक हमारी शिक्षा प्रणाली परंपरागत शिक्षण के आधार पर ही चल रही थी लेकिन इस महामारी के कारण बिना किसी पूर्व तैयारी के हमने ऑनलाइन शिक्षण को अपना लिया। हालांकि हम विद्यार्थी और समस्त शिक्षक वर्ग इसके लिए पहले से शिक्षित/तैयार नहीं थे। इसके बावजूद भी हमारे शिक्षकों ने शिक्षा के उच्च स्तर को बनाए रखा ।उन्होंने विद्यार्थियों की समस्याओं को ऑनलाइन समझाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। और वे विद्यालय के सामान्य समय सीमा के बाहर जाकर अतिरिक्त समय में भी हमें पढ़ाते रहे।

बेशक हम बच्चों को हमारे प्रोजेक्ट ना सबमिट करा कर ० नंबर मंजूर हो, पर वह टीचर जिन्हें सिर्फ ० नंबर देने के लिए सिर्फ एक ‘क्लिक’ करना है, वह हमें बार-बार प्रोजेक्ट सबमिशन के लिए क्यों याद दिलाते हैं? यह सब इसलिए क्योंकि वह हमें अपना बच्चा समान मानते हैं। वह हमारी दिक्कतों, परेशानियों को समझते हैं। हमारे वेद, पुराणों में भी गुरु को भगवान से अधिक महत्व मिला है क्योंकि हमारे भगवान जैसे कि राम जी, कृष्ण जी भी अपने गुरु से पूछे बगैर कुछ काम नहीं करते थे। हमारे पुराणों में यह भी कहा गया है-

गुरू ब्रह्मा, गुरू विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा:,
गुरु साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नम: ।।

अर्थात- गुरु ही ब्रह्मा है, गुरु ही विष्णु है और गुरु ही भगवान शंकर है। गुरु ही साक्षात परब्रह्म है। ऐसे गुरु को मैं शत शत नमन करती हूं।

  (Please login to give a Curious Clap to your friend.)


 

SignUp to Participate Now! Win Certifiates and Prizes.

 

Ridhima Garg

10, D.L.D.A.V. Model School Shalimar Bagh, New Delhi

Share your comment!

Login/Signup